सोमवार, 28 जुलाई 2008

पुस्तक परिचय

"प्रसिद्ध दार्शनिक, इतिहासकार और तर्कशास्त्री, बर्ट्रांड रसैल, जो अनेक दार्शनिक ग्रथों के लेखक रहे है तथा जो अपने नास्तिक विचारों के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने कहा है – जब तक हम एक ईश्वर की कल्पना ना करें या उसके अस्तित्व को ना मान लें, तब तक जीवन के उद्देश्य के बारे में सोचना निरर्थक है।"

मेरा विश्वास है कि हमारे सृष्टिकर्ता ने हम सबकी सृष्टि किसी उद्देश्य के साथ की है। हम भी जब किसी चीज़ का निर्माण करते हैं तो उसके पीछे कुछ ना कुछ लक्ष्य और उसके इस्तेमाल के लिए कुछ योजना ज़रूर होती है। उसी प्रकार मेरा मानना है कि हमारे सृष्टिकर्ता ईश्वर ने हम में से हरेक के लिए एक योजना रखी है और हरेक के जीवन का एक उद्देश्य़ रखा है।

अनंत आशा से भरपूर, आशीषित तथा संतुष्ट जीवन जीने की कुंजी है – उस उद्देश्य को खोजना तथा उसको पूरा करना। मैं ऐसा हर दिन करता हूँ और हम साथ में इसे सीख सकते हैं।

एक समय मैं भी अपनी जिन्दगी के महत्वपूर्ण पहलुओं से अनजान था और एक भरपूर ज़िंदगी से महरूम था, पर आज मैं अपने जीवन को बहुत गहराई से, भरपूरी के साथ जी रहा हूँ। मेरे जीवन में मैं एक ऐसी शांति और आनंद का अनुभव करता हूँ जो मेरी समझ से बाहर है। मेरा पूरा विश्वास तथा मेरी अटूट आस्था ईश्वर में है जो कि मेरा परममित्र हो गया है और मेरे जीवन का अधिकार अपने हाथों में रखता है। वो मेरे सारे टेढ़े मेढ़े मार्गों को सीधा करता है, हर मुश्किल में मेरी सहायता करता है, अपनी आशीषें मुझे देता है और एक विजयी जीवन जीने में मेरी सहायता करता है।

मेरा जन्म हिंदू परिवार में हुआ था, इसलिए मेरी अपनी एक विचारधारा थी तथा जब मैंने पहली बार मसीही विश्वास (ईसाई धर्म नहीं) के बारे में सुना तो मेरे लिए यकायक इसमें विश्वास करना आसान नहीं था । मेरे मन में कई प्रश्न उठे थे जिनके उत्तर पाये बिना मेरे लिये इस मत पर विश्वास करना नामुमकिन था। स्वयं ईश्वर ने मेरे उन सभी सवालों का जवाब दिया जो मेरे विज्ञान प्रभावित तथा तर्क संचालित दिमाग में उठे थे।

मैं भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) से जुड़े व्यवसाय में कार्यरत हूँ तथा उपग्रह से प्राप्त चित्र कई बार अपने कार्य के दौरान देखता हूँ। मैने पाया है कि जो चीजें हम ऊँचाई से देख पाते हैं उनको समान धरातल पर रहते हुए देखना और समझना असंभव है। आज जब मैं जीवन को मानवीय दृष्टिकोण से ऊपर उठकर आत्मिक नज़र से देखता हूँ तो जीवन का एक अलग ही चित्र मुझे नज़र आता है। वही मैं आपको इस पुस्तक के द्वारा दिखाना चाहता हूँ।

बृजेश चोरोटिया
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विषय-सूची

अध्याय 1 ::: परिचय
अध्याय 2 ::: यह पुस्तक क्यों
अध्याय 3 ::: क्या आप तैयार हैं
अध्याय 4 ::: पारिवारिक पृष्ठभूमि
अध्याय 5 ::: ईश्वर से मिलन
अध्याय 6 ::: परिवर्तन
अध्याय 7 ::: उद्धार
अध्याय 8 ::: प्रार्थनाओं के उत्तर
अध्याय 9 ::: परमेश्वर की विश्वासयोग्यता
अध्याय 10 ::: आशीषें
अध्याय 11 ::: ईश्वरीय जीवन कैसे जीयें
अध्याय 12 ::: निष्कर्ष

प्रश्न और भ्रांतियाँ (FAQs)